सोनचाफा, जिसे चंपा भी कहा जाता है, एक अत्यंत सुगंधित और सुंदर फूल है। पालघर (महाराष्ट्र) के कई किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर इस फूल की खेती की ओर रुख कर चुके हैं और इससे उन्हें रोज़ाना की आमदनी हो रही है। आइए जानते हैं कि सोनचाफा की खेती कैसे होती है, कितना खर्च आता है, और इससे कितनी कमाई की जा सकती है।
सोनचाफा की खेती कैसे करें?
1. जलवायु और मिट्टी
- सोनचाफा को गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद है।
- यह फूल रेतीली दोमट या काली मिट्टी में अच्छी तरह उगता है।
- पालघर जैसी तटीय जगह इसकी खेती के लिए आदर्श है।
2. उन्नत किस्म – वेलणकर चाफा
- पालघर के उदय वेलणकर द्वारा विकसित की गई किस्म “वेलणकर चाफा” सबसे लोकप्रिय है।
- यह किस्म सालभर फूल देती है।
- एक पौधे से रोज़ाना 150 से 200 फूल तक निकलते हैं।
3. रोपण विधि
- मानसून की शुरुआत (जून-जुलाई) में पौधे लगाए जाते हैं।
- पौधों की दूरी: 5×5 फीट।
- 1 एकड़ में लगभग 1700-1800 पौधे लगाए जा सकते हैं।
4. सिंचाई और देखभाल
- शुरुआत में नियमित सिंचाई ज़रूरी है।
- बाद में सप्ताह में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है।
- समय-समय पर जैविक खाद और नीम कीटनाशक से देखभाल करें।
लागत और मुनाफ़ा
खर्च का विवरण | अनुमानित लागत (1 एकड़ में) |
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पौधे (₹25 प्रति पौधा) | ₹45,000 |
गड्ढे की खुदाई/रोपण | ₹15,000 |
सिंचाई पाइपलाइन | ₹10,000 |
खाद और कीटनाशक | ₹8,000 |
मजदूरी/रखरखाव | ₹15,000 |
कुल लागत (सालाना) | ₹93,000 |
कमाई की गणना (1 एकड़ के लिए)
- औसतन 1 पौधे से 150 फूल प्रतिदिन निकलते हैं।
- 1 फूल की कीमत ₹1.5 से ₹2 (मुंबई/पालघर मार्केट में)
- मान लें, 1500 पौधे x 150 फूल = 2,25,000 फूल/दिन
- ₹1.5 प्रति फूल = ₹3,37,500 प्रति दिन (उच्चतम उत्पादन पर)
यथार्थ आंकड़ा (औसतन):
- 1 एकड़ में औसतन 60,000 – 90,000 फूल प्रति माह निकलते हैं।
- ₹1.5 प्रति फूल की दर से: ₹90,000 – ₹1,35,000 प्रति माह की कमाई।
सालभर की कमाई:
- औसतन ₹10 लाख से ₹12 लाख की सालाना कमाई संभव है।
सफल किसान की कहानी
रॉबर्ट डी’ब्रिटो नामक किसान ने पालघर के वसई क्षेत्र में 280 वेलणकर चाफा के पौधे लगाए। वे रोज़ाना इनसे ₹1000 तक कमाते हैं और सालाना ₹9 लाख की शुद्ध कमाई करते हैं। यह उनकी पारंपरिक खेती की तुलना में 3 गुना अधिक है।
चुनौतियाँ और सुझाव
समस्या | समाधान |
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जलवायु परिवर्तन और बेमौसम बारिश | पौधों को शेड नेट और ड्रिप सिस्टम से सुरक्षा |
मार्केटिंग की कमी | स्थानीय मंडियों और फूल एजेंसियों से संपर्क |
बीमा और ऋण सुविधा की कमी | सरकार से मांग: फूल उत्पादकों के लिए योजना |
क्यों करें सोनचाफा की खेती?
✔️ रोज़ाना फूलों की तुड़ाई से निरंतर आमदनी
✔️ कम पानी और कम देखभाल में अच्छी उपज
✔️ बाज़ार में सालभर मांग
✔️ मल्टी क्रॉपिंग के साथ की जा सकती है
✔️ महिलाएं और बुज़ुर्ग भी आसानी से कर सकते हैं
निष्कर्ष
पालघर के किसानों ने यह दिखा दिया है कि अगर खेती में नवाचार और स्थानीय जलवायु के अनुकूल फसल को अपनाया जाए, तो खेती घाटे का नहीं, लाभ का सौदा बन सकती है। सोनचाफा की खेती एक कम लागत, ज़्यादा मुनाफ़ा और सालभर रोज़गार देने वाला विकल्प बन चुका है।