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खेती अब केवल परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रह गई है। आज के स्मार्ट किसान नई तकनीकों और विदेशों से लाई गई उन्नत किस्मों का इस्तेमाल कर खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदल रहे हैं। ऐसी ही एक मिसाल है ताइवानी अमरूद की खेती, जिसमें पहले ही साल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

क्या है ताइवानी अमरूद की खासियत?

ताइवानी अमरूद एक हाईब्रिड किस्म है जो अन्य किस्मों की तुलना में:

  • बहुत जल्दी फल देना शुरू करता है — केवल 6 महीने में उत्पादन।
  • साल में तीन बार फलता है — मतलब एक बार नहीं, तीन बार कमाई।
  • फल बड़े आकार के होते हैं — वजन 150 से 500 ग्राम तक।
  • अंदर से गुलाबी और स्वाद में मीठा — जिससे बाजार में भारी डिमांड।

कैसे करें ताइवानी अमरूद की खेती?

  1. जमीन का चयन और तैयारी:
    • बलुई-दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली भूमि उपयुक्त है।
    • 2.5 फीट पौधों के बीच और 3 फीट कतारों के बीच दूरी रखें।
  2. पौध रोपण और खाद:
    • जैविक खाद, डीएपी, पोटाश और थाइमेट से गड्ढे भरें।
    • पौधों को सीधे धूप में लगाएं।
  3. सिंचाई और देखभाल:
    • गर्मियों में नियमित पानी दें, पर जलभराव न होने दें।
    • समय-समय पर कटाई-छंटाई करें ताकि पौधे ज्यादा फल दें।

एक साथ तीन फसलों की तकनीक

खेती में विविधता अपनाकर एक ही जमीन पर तीन स्तरों की फसल ली जा सकती है:

  1. मुख्य फसल – ताइवानी अमरूद
  2. मध्यम फसल – हल्दी या अदरक जैसी ज़मीन में उगने वाली फसल
  3. नीचे की फसल – हरा चारा या दलहन जैसे मूंग, उड़द

इससे:

  • जमीन का पूरा उपयोग होता है,
  • मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है,
  • और आमदनी तीन गुना तक बढ़ जाती है।

लागत और मुनाफा

  • प्रति एकड़ लगभग ₹60,000–₹80,000 की लागत आती है।
  • पहले साल से ही 2 से 3 लाख तक का मुनाफा संभव।
  • पौधे 10 से 12 साल तक फल देते हैं।

सरकार की मदद

राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत:

  • पौधरोपण, ड्रिप इरिगेशन और बाड़बंदी पर सब्सिडी।
  • प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन।

निष्कर्ष

अगर आप भी खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पारंपरिक तरीकों से हटकर नई किस्मों और बहुफसली मॉडल को अपनाना जरूरी है। ताइवानी अमरूद के साथ तीन फसलों का मॉडल एक सफल प्रयोग है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम साबित हो सकता है।

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