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नाइट्रोजन फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। यह पौधों की वृद्धि, हरी पत्तियों के विकास और उपज बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। नाइट्रोजन की कमी से पौधों का विकास रुक सकता है, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और उत्पादन कम हो जाता है।

नाइट्रोजन का पौधों में कार्य
– नाइट्रोजन पौधों में प्रोटीन, एंजाइम और क्लोरोफिल के निर्माण में मदद करती है।
– नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा पौधों की पत्तियों को हरा और स्वस्थ बनाए रखती है।
– यह पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को तेज करती है।
– पौधों के तनों और शाखाओं को मजबूत बनाने में मदद करती है।
– यह फूल और फलों की संख्या बढ़ाने में सहायक होती है।

नाइट्रोजन की कमी के लक्षण
– पत्तियों का पीला होना।
– पौधे छोटे और कमजोर रह जाते हैं।
– पौधे में नाइट्रोजन की कमी होने पर सबसे पहले निचली पत्तियां प्रभावित होती हैं।
– फूल और फल कम लगते हैं, जिससे उत्पादन घट जाता है।

नाइट्रोजन के स्रोत
– यूरिया
– अमोनियम नाइट्रेट
– अमोनियम सल्फेट
– डीएपी
– गोबर की खाद
– वर्मीकम्पोस्ट
– हरी खाद

नाइट्रोजन उर्वरकों का सही उपयोग कैसे करें?
उर्वरकों को फसल की बढ़वार के अनुसार 2-3 बार में बांटकर दें।
यूरिया का प्रयोग नमी वाली मिट्टी में करें, सूखी मिट्टी में न डालें।
नाइट्रोजन उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें, ज्यादा नाइट्रोजन से पत्तियाँ तो बढ़ेंगी लेकिन फल और अनाज कम आएंगे।
जैविक और रासायनिक उर्वरकों का मिश्रित प्रयोग करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।

नाइट्रोजन की अधिकता के नुकसान
पत्तों की अत्यधिक वृद्धि, लेकिन कम फल और अनाज।
फसलों में कीट और रोगों की संभावना बढ़ती है।
मिट्टी की अम्लीयता बढ़ सकती है।
नाइट्रोजन लीचिंग से जल प्रदूषण का खतरा बढ़ता है।

नाइट्रोजन फसल उत्पादन के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। इसकी संतुलित मात्रा से फसल की अच्छी वृद्धि होती है, लेकिन अधिक मात्रा नुकसानदायक हो सकती है। जैविक खाद, नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु और सही उर्वरक प्रबंधन से किसान अपनी फसलों की पैदावार को बढ़ा सकते हैं। ऐसी और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।

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