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गेहूं की फसल में खरपतवार (Weeds) उपज को कम करने का एक बड़ा कारण होते हैं। ये फसल के साथ नमी, पोषक तत्व और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक होता है ताकि गेहूं की उपज और गुणवत्ता बनी रहे।

गेहूं में खरपतवार के दुष्प्रभाव
– पौधों की वृद्धि पर असर।
– उपज में कमी।
– रोग और कीट का खतरा।
– कटाई में समस्या।

गेहूं के प्रमुख खरपतवार और उनकी पहचान
– फूल पत्थरी – गेहूं जैसी घास, हल्की हरी पत्तियाँ।
– मोटा घास – लंबी, घनी घास, नुकीली पत्तियाँ।
– बथुआ – चौड़ी पत्तियों वाला पौधा, हरे-सफेद फूल।
– हिरनखुरी – बेल जैसी संरचना, सफेद-गुलाबी फूल।
– प्याजी – पतली पत्तियाँ, छोटे सफेद फूल।

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के तरीके
फसल बोने से पहले खेत की गहरी जुताई करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
छोटे खेतों में खरपतवार को हाथ से निकालकर नियंत्रण किया जा सकता है।
गेहूं के बाद दलहनी फसलों जैसे चना, मटर की खेती करने से खरपतवार का दबाव कम होता है।
खरपतवारनाशी दवाओं का सही समय पर और उचित मात्रा में छिड़काव करने से गेहूं की फसल को खरपतवार से बचाया जा सकता है।

बोवाई से पहले खरपतवार नियंत्रण
पेंडीमेथालिन 30% EC 3.5-4 लीटर/हेक्टेयर बोवाई के 1-2 दिन के अंदर छिड़काव करें।
इपीफ्लुएनासेम 24% SC 400 मिलीलीटर/हेक्टेयर बोवाई के तुरंत बाद छिड़कें।

बोवाई के बाद खरपतवार नियंत्रण
सुल्फोसल्फ्यूरॉन 75% WG 33 ग्राम/हेक्टेयर बोवाई के 25-30 दिन बाद छिड़काव करें।
मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 20% WP 4 ग्राम/हेक्टेयर चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार के लिए छिड़कें।
पिनॉक्साडेन 5% EC 400 मिलीलीटर/हेक्टेयर घास कुल के खरपतवार के लिए छिड़कें।

खरपतवार नियंत्रण के फायदे
फसल को पूरा पोषण मिलता है, जिससे उपज बढ़ती है।
खेत में जल और नमी संरक्षण बेहतर होता है।
कीट और रोगों का खतरा कम हो जाता है।
फसल की कटाई और गुणवत्ता में सुधार होता है।

गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए सही तकनीक और समय का ध्यान रखना जरूरी है। यांत्रिक, रासायनिक और जैविक तरीकों का संतुलित उपयोग करके किसान अपनी फसल को खरपतवार से बचा सकते हैं और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए
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