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भारत में तम्बाकू का आगमन 17 वी शताब्दी में हुआ था। यह पुर्तगालियों के द्वारा मुगलकाल में भारत लाया गया था। शुरुआत में तम्बाकू की खेती गुजरात के कैरा और मेहसाणा जिलों में कि गई। उसके बाद यह धीरे धीरे भारत के कई इलाकों में फैल गई। भारत में तम्बाकू की खेती कुल कृषि योग्य क्षेत्र का लगभग 0.27% हैं, जिससे वार्षिक लगभग 750 मिलियन किलोग्राम तम्बाकू पत्ती का उत्पादन होता है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तम्बाकू उत्पादक एवं दूसरा सबसे बड़ा तम्बाकू उपभोक्ता है। देश में तम्बाकू के उत्पादन क्षेत्र एवं उत्पादन मात्रा में गुजरात, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक शीर्ष स्थान पर है। अब तक दुनिया में तम्बाकू की 60 विभिन्न जातियाँ मिल चुकी है। लेकिन खेती तथा व्यापार की दृष्टि से केवल दो जातियाँ निकोशियाना टबैकम और निकोशियाना रास्टिका प्रमुख हैं । तम्बाकू की खेती किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। इसकी खेती खरीब और रबी दोनों मौसमों में की जा सकती है। यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। तम्बाकू की फसल करीब चार महीने में तैयार हो जाती है।
इस फसल की यह खासियत है कि जंगली जानवर इस फसल को नुक्सान नहीं पहुंचाते है।

बुआई का समय
रबी की बुआई – अक्टूबर से दिसंबर के मध्य
खरीफ की बुआई – जून से सितंबर के मध्य

फसल अवधि
120 से 150 दिन
अनुकूल तापमान
तम्बाकू की फसल के लिए अनुकूल तापमान 21° C से 29° C होता हैं।

उपयुक्त मिट्टी
जलोढ़ मिट्टी,दोमट मिट्टी एवं काली चिकनी मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती के लिए आवश्यक है की खेत में जल भराव ना हो इसलिए इसकी खेती उचित जल निकास वाली भूमि में की जानी चाहिए।

खेत की तैयारी
तम्बाकू की फसल के लिए आवश्यक है कि खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई कर ले तीन चार बार गहरी जुताई करने के बाद खेत को समतल कर लेना चाहिए और खेत में उपस्थित खरपतवारों को भी हटा देना चाहिए। तंबाकू की खेती के लिए आवश्यक है उचित जल निकास की व्यवस्था होना ताकि खेत में कहीं भी पानी ना भरे।

बीज की मात्रा
तम्बाकू की खेती के लिए बीज की मात्रा 1.5 से 2 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। बीज की मात्रा का चयन फसल की किस्म और भूमि की उपजाऊ क्षमता के अनुसार किया जाता है।

पौधों की रोपाई और दूरी

तंबाकू के पौधों की रोपाई 6 से 8 सप्ताह पुराने पौधों कि की जाती है। पौधों की रोपाई की दूरी 60× 60 सेंटीमीटर रखना चाहिए ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके।

खाद और उर्वरक मात्रा
तंबाकू की फसल के लिए प्रति एकड़ 60 से 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस 40 से 60 किलोग्राम और पोटाश 80 से 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।

सिंचाई
तंबाकू कि फसल की सिंचाई हर 15 दिनों में करते रहना चाहिए।

फसल की कटाई
कटाई का समय फसल की किस्म पर निर्भर करता है। तंबाकू की पत्तियों की कटाई तब करें जब पत्तियां पूरी तरीके से विकसित हो जाए और उसमें निकोटीन की मात्रा पर्याप्त हो। आमतौर पर पत्तियों की कटाई 90 से 130 दिनों के बाद की जानी चाहिए।

उत्पादन
इसका उत्पादन सामान्यत 4 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। तंबाकू की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी फसल है। इसकी खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी फसल लगाने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है कि इसको जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचते हैं।जिससे इसके रखरखाव की भी आवश्यकता नहीं होती। ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए ebhijuka.bharatagrolink.com से।

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