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बैंगन को देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की मिट्टी और जलवायु में उगाया जा सकता है। बैंगन की खेती से किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है क्योंकि यह पूरे साल उगाई जाने वाली सब्जी है।

जलवायु

बैंगन की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए 25°C से 30°C तापमान उपयुक्त होता है।

मिट्टी

बैंगन की खेती के लिए बलुई दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम होती है।

बुवाई का सही समय

ग्रीष्मकाल में फरवरी-मार्च। वर्षा ऋतु में जून-जुलाई। शीतकाल में सितंबर-अक्टूबर।

बुवाई की विधि

पहले खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। 1 हेक्टेयर के लिए 800-1000 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को नर्सरी में बोने के बाद लगभग 25-30 दिनों में पौध तैयार हो जाती है। पौध को 50-60 सेमी की दूरी पर कतारों में रोपित करें। पौधों के बीच की दूरी 40-50 सेमी रखें।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

गोबर की खाद या कंपोस्ट प्रति हेक्टेयर 20-25 टन डालें। नाइट्रोजन 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर, फॉस्फोरस 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर और पोटाश 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें। फसल में फूल आने के समय एक बार नाइट्रोजन की मात्रा को टॉप ड्रेसिंग के रूप में डालें।

सिंचाई प्रबंधन

गर्मी के मौसम में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। ठंड के मौसम में 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फल बनने के समय पर नियमित रूप से सिंचाई करना जरूरी होता है। जल भराव से बचाने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

खरपतवार नियंत्रण

रोपाई के 20-25 दिन बाद खरपतवार निकालें। आवश्यकतानुसार खेत की गुड़ाई करते रहें। मल्चिंग का प्रयोग कर खरपतवार को कम किया जा सकता है।

तुड़ाई

बैंगन के फल 60-80 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। तुड़ाई के समय फल का रंग गहरा बैंगनी और चमकदार होना चाहिए।

औसत उपज

संकर किस्मों से 300-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। देशी किस्मों से 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

सुझाव

उच्च गुणवत्ता वाले बीज का ही चयन करें। जैविक खाद का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें। सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें। रोग और कीट के लक्षण दिखने पर तुरंत नियंत्रण के उपाय करें।

इस तरह बैंगन की सही देखभाल और वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर अधिक उपज और मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।

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