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आपने “काली मिट्टी”, “रेतीली मिट्टी” या “लाल मिट्टी” के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आपने पीट मिट्टी (Peat Soil) के बारे में सुना है? कुछ लोग इसे “काला सोना” कहते हैं, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे “खेती का दुश्मन” मानते हैं। तो आखिर सच्चाई क्या है? क्या पीट मिट्टी खेती के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह?

इस ब्लॉग में हम पीट मिट्टी की विशेषताओं, इसके लाभ और हानियाँ, इसके उपयोग और सावधानियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. पीट मिट्टी क्या है?

पीट मिट्टी जैविक पदार्थों (organic matter) जैसे घास, पौधों और पेड़ों के अधकचरे अवशेषों से बनी होती है। यह मिट्टी आमतौर पर दलदली इलाकों, नदियों के किनारे या अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।

  • रंग: गहरा भूरा या काला
  • बनावट: मुलायम, स्पंजी और नमी युक्त
  • pH: अम्लीय (5.0 – 6.5)
  • कार्बन सामग्री: बहुत अधिक (30-60%)
  • जल धारण क्षमता: अत्यधिक

2. पीट मिट्टी को “काला सोना” क्यों कहते हैं?

इस मिट्टी को “काला सोना” कहना गलत नहीं है – कुछ परिस्थितियों में। ऐसा इसलिए क्योंकि:

  • उच्च जैविक तत्व: इसमें ह्यूमस की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो पौधों की वृद्धि में सहायक होती है।
  • बेहतर जल धारण: यह मिट्टी लंबे समय तक नमी बनाए रखती है, जो सूखे क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है।
  • कम सिंचाई की ज़रूरत: इसमें पानी धीरे-धीरे वाष्पीकृत होता है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
  • सस्ती और उपलब्ध: कई जगहों पर यह आसानी से मिल जाती है और महंगी नहीं होती।

👉 इसलिए कुछ किसान इसे विशेष फसलों या नर्सरी में उपयोग करते हैं।

3. पीट मिट्टी में खेती के नुकसान – खेती का दुश्मन क्यों?

जहाँ कुछ किसान इसे वरदान मानते हैं, वहीं वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इसे चुनौती भी मानते हैं। कारण:

a. अत्यधिक अम्लीय (Acidic Nature):

  • अम्लीय pH होने के कारण यह कई फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होती।
  • इसे उपयोग में लाने के लिए pH को संतुलित करना पड़ता है, जो खर्चीला हो सकता है।

b. संपीड़न (Compression):

  • यह मिट्टी पानी के संपर्क में आकर सिकुड़ जाती है और जमीन बैठ जाती है, जिससे पौधों की जड़ें दब जाती हैं।

c. कम पोषक तत्व (Low Nutrients):

  • भले ही जैविक पदार्थ अधिक हो, लेकिन NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम) की कमी रहती है।

d. पर्यावरणीय प्रभाव:

  • पीट दोहन से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं।
  • यह जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है।

4. पीट मिट्टी का कहां और कैसे उपयोग होता है?

सही उपयोग की स्थिति:

उपयोगलाभ
नर्सरी / गमले की मिट्टीबीज अंकुरण में अच्छा माध्यम
हाउसप्लांट्स के लिएजल संरक्षण में सहायक
जैविक खाद के साथ मिलाकरमिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है

खेतों में सीधे उपयोग की स्थिति:

  • बड़ी फसलों (जैसे गेहूं, धान) में सीधा उपयोग जोखिम भरा हो सकता है।
  • फसल उत्पादन असमान हो सकता है।

5. पीट मिट्टी को उपयोग करने से पहले क्या सावधानियाँ रखें?

  • pH जाँच करें: यदि मिट्टी अधिक अम्लीय हो, तो चूना (lime) मिलाकर संतुलित करें।
  • अनुपूरक पोषण दें: NPK और सूक्ष्म पोषक तत्वों का समावेश करें।
  • सिंचाई पर ध्यान दें: अत्यधिक जल धारण क्षमता के कारण जड़ों में सड़न हो सकती है।
  • अन्य मिट्टी के साथ मिलाकर उपयोग करें: 60% सामान्य मिट्टी + 40% पीट का मिश्रण बेहतर रहता है।

6. भारत में पीट मिट्टी की उपलब्धता

भारत में पीट मिट्टी विशेष रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों (असम, मणिपुर), केरल के दलदली इलाकों, और कुछ गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्रों में पाई जाती है।

हालांकि, भारत में इसका व्यावसायिक उपयोग सीमित है।

7. क्या पीट मिट्टी का भविष्य है?

🌱 सतत कृषि की दृष्टि से:

  • पीट के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण को नुकसान पहुँच सकता है।
  • कई देश अब कोकोपीट (cocopeat) जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं – जो नारियल के खोल से बनती है और पर्यावरण-अनुकूल होती है।

निष्कर्ष

पीट मिट्टी न तो पूरी तरह वरदान है और न ही पूरी तरह नुकसानदेह। यह एक ऐसा माध्यम है जिसे समझदारी और वैज्ञानिक तरीके से उपयोग किया जाए तो लाभदायक सिद्ध हो सकता है। लेकिन अज्ञानता में इसका प्रयोग फसल को नुकसान पहुँचा सकता है।

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