खरपतवार फसल के बीच में उग कर पौधों से पोषक तत्व, पानी, धूप और उनका स्थान छीन लेते हैं। इससे उपज में कमी आती है। इसलिए किसानों को अच्छी उपज लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए विभिन्न रासायनिक, यांत्रिक, जैविक आदि विधियों का उपयोग किया जाता है।
यांत्रिक विधि
इस विधि में हाथों से या औजारों का उपयोग करके खेत से खरपतवार हटाए जाते हैं। किसान फसल के बीच उगने वाले खरपतवारों को हाथों से निकाल सकते हैं। छोटी जगहों पर खुरपी और हंसिया से खरपतवार निकाले जा सकते हैं। बड़े खेतों में हल या कल्टीवेटर से जुताई करने पर खरपतवार हटाए जाते हैं। फसल बोने से पहले हेरो चलाने से मिट्टी में खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। किसान रोटावेटर का उपयोग जुताई और खरपतवार नियंत्रण के लिए कर सकते हैं।
रासायनिक विधि
इस विधि में खरपतवार को नष्ट करने के लिए शाकनाशी का उपयोग किया जाता है। शाकनाशी को खेत तैयार करने के बाद और बीज बोने से पहले डाल सकते हैं। बुवाई के बाद जब खरपतवार उगने लगते हैं, तब भी इनका उपयोग किया जाता है। शाकनाशी का प्रयोग सही मात्रा में और सही समय पर करें। खेत में मौजूद खरपतवारों की पहचान करके सही शाकनाशी चुनें। सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दस्ताने, मास्क, चश्मा पहनकर छिड़काव करें।
जैविक विधि
इस विधि में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक शत्रुओं और जैविक तरीकों का उपयोग किया जाता है। कुछ कीट और कवक खरपतवारों को नष्ट करने में सहायक होते हैं। इनका उपयोग किया जा सकता है। बतख, बकरी और भेड़ भी कुछ खरपतवारों को खाती हैं। किसान जैविक शाकनाशी जैसे नीम तेल, जैविक मल्चिंग का भी उपयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा फसल चक्र अपनाकर, सहफसल खेती करके, गहरी जुताई और खेत में नमी बनाकर खरपतवारों को पनपने से रोका जा सकता है।
खरपतवार फसल की उपज को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसलिए किसान को सही समय पर खरपतवार नियंत्रण कर लेना चाहिए। ऐसे ही खेती से जुड़ी और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से|