ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने का अच्छा विकल्प है। यह फसल मुख्य रूप से रबी फसलों की कटाई के बाद ली जाती है और इसका उपयोग दाना, चारे और औद्योगिक उत्पादों के रूप में किया जाता है।
ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती के लाभ
कम समय में तैयार होने वाली फसल लगभग 80-100 दिन में तैयार हो जाती है।
अच्छी उपज और लाभ मिलता है।
अन्य फसलों की तुलना में अधिक उत्पादन।
मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
तापमान – 25-35°C
मिट्टी – अच्छी जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी।
खेत की तैयारी
गहरी जुताई करके मिट्टी भुरभुरी बनाएं।
2-3 बार हल्की जुताई करें और पाटा लगाएं।
खेत में जलनिकासी की अच्छी व्यवस्था करें।
खेत में गोबर की खाद या जैविक खाद डालें।
बुवाई का समय और तरीका
बुवाई का सही समय – फरवरी से मार्च
बीज की मात्रा – 8-10 किग्रा प्रति एकड़
बीज की दूरी – 60 सेमी पंक्ति × 20 सेमी पौधे
बुवाई का तरीका – सीधी कतारों में या मशीन द्वारा
सिंचाई प्रबंधन
पहली सिंचाई – बुवाई के तुरंत बाद करें।
दूसरी सिंचाई – 20-25 दिन बाद करें।
तीसरी सिंचाई- 40-45 दिन बाद में फूल आने की अवस्था में करें।
चौथी सिंचाई – 60-65 दिन बाद दाना बनने की अवस्था में करें।
गर्मी में 6-7 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहें।
इसके अलावा जरूरत पड़ने पर खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन के लिए फसल की निगरानी करते रहें।
फसल कटाई और उत्पादन
कटाई का समय: 80-100 दिन
उत्पादन – 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ दाने
300-350 क्विंटल प्रति एकड़ हरा चारा
ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती जलवायु परिवर्तन और बदलते कृषि तरीकों के अनुसार बहुत उपयोगी हो सकती है। यदि सही बीज, उर्वरक, सिंचाई और कीट नियंत्रण का ध्यान रखा जाए, तो किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
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