मृदा परीक्षण के द्वारा मिट्टी के पोषक तत्वों, पीएच स्तर, कार्बनिक पदार्थ और अन्य भौतिक एवं रासायनिक गुणों का पता लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह जानना होता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी या अधिकता है, ताकि फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए उचित खाद और उर्वरकों का उपयोग किया जा सके।
मृदा परीक्षण क्यों जरूरी है?
मृदा परीक्षण से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा का पता चलने पर उचित खाद और उर्वरकों का प्रयोग किया जा सकता है। इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार होता है। बिना जांच के अधिक खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है। मृदा परीक्षण से पता चलता है कि किस खाद की कितनी मात्रा डालनी चाहिए। मृदा परीक्षण के आधार पर खाद और उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग करने से अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता है। मृदा परीक्षण से मिट्टी में मौजूद खतरनाक तत्वों का पता लगाया जा सकता है, जिससे समय पर उपचार किया जा सकता है।
मृदा परीक्षण कैसे करें?
– खेत के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी के नमूने लें।
– नमूना लेते समय खेत के किनारे से मिट्टी न लें।
– नमूना लेते समय मिट्टी की ऊपरी परत हटाएं।
– नमूने को एक साफ थैली में रखें।
– एकत्र किए गए नमूने को छांव में सुखाएं।
– सुखाने के बाद इसे बारीक करके किसी कपड़े से छान लें।
– नमूने को कृषि विभाग या मान्यता प्राप्त मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।
– मृदा परीक्षण के दौरान नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पीएच स्तर, जैविक तत्व आदि की जांच की जाती है।
मृदा परीक्षण की रिपोर्ट
– रिपोर्ट में मिट्टी की स्थिति और पोषक तत्वों की मात्रा का विवरण होगा।
– रिपोर्ट से यह पता चलेगा कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी या अधिकता है।
– रिपोर्ट के आधार पर उर्वरकों और खाद का संतुलित उपयोग करें।
किसान मृदा परीक्षण कराकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।