🌾 दलहन: भारतीय कृषि की रीढ़ 🌾
भारत में कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दलहन फसलें हैं, जो पोषण सुरक्षा, मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं। भारत दुनिया में सबसे अधिक दलहन का उत्पादन और खपत करने वाला देश है। यह फसलें नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में मदद करती हैं और पर्यावरण के अनुकूल होती हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि दलहन फसलें कब लगाई जाती हैं, कौन-कौन सी फसलें इसमें आती हैं और इनके प्रमुख लाभ क्या हैं?
दलहन फसलें कब लगाई जाती हैं?
दलहन फसलें तीन मौसमों में उगाई जाती हैं:
1️⃣ खरीफ दलहन (जून – जुलाई में बुवाई, अक्टूबर – नवंबर में कटाई)
2️⃣ रबी दलहन (अक्टूबर – नवंबर में बुवाई, मार्च – अप्रैल में कटाई)
3️⃣ जायद दलहन (फरवरी – मार्च में बुवाई, मई – जून में कटाई)
1. खरीफ दलहन (Kharif Pulses) – बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली फसलें
- बुवाई का समय: जून – जुलाई
- कटाई का समय: अक्टूबर – नवंबर
- आवश्यक तापमान: 25-35°C
- सिंचाई: अच्छी जल निकासी वाली भूमि
🔹 खरीफ दलहन की प्रमुख फसलें:
✅ अरहर (तूर दाल) – यह फसल 150-180 दिनों में तैयार होती है।
✅ उड़द (ब्लैक ग्राम) – इसकी फसल 90-120 दिनों में तैयार होती है।
✅ मूंग (ग्रीन ग्राम) – यह जल्दी पकने वाली फसल है, 60-90 दिनों में तैयार होती है।
✅ लोबिया (क्लस्टर बीन्स) – पशुओं के चारे और सब्जी के रूप में भी उपयोगी।
2. रबी दलहन (Rabi Pulses) – सर्दियों में उगाई जाने वाली फसलें
- बुवाई का समय: अक्टूबर – नवंबर
- कटाई का समय: मार्च – अप्रैल
- आवश्यक तापमान: 10-25°C
- सिंचाई: थोड़ी नमी वाली मिट्टी में अच्छी उपज
🔹 रबी दलहन की प्रमुख फसलें:
✅ चना (बंगाल चना/काबुली चना) – भारत की सबसे बड़ी दलहन फसल।
✅ मसूर (लेंस टमाटर) – सर्दी के मौसम में अधिक उगाई जाती है।
✅ मटर (पी ग्रीन पीज) – हरी मटर सब्जी और दाल के रूप में उपयोग होती है।
✅ राजमा (किडनी बीन्स) – पोषण से भरपूर और रबी सीजन में उगाई जाती है।
3. जायद दलहन (Zaid Pulses) – ग्रीष्मकाल में उगाई जाने वाली फसलें
- बुवाई का समय: फरवरी – मार्च
- कटाई का समय: मई – जून
- आवश्यक तापमान: 30-40°C
- सिंचाई: अच्छी जल निकासी जरूरी
🔹 जायद दलहन की प्रमुख फसलें:
✅ मूंग (ग्रीन ग्राम) – अल्पावधि फसल, गर्मी में जल्दी पक जाती है।
✅ उड़द (ब्लैक ग्राम) – इसकी खेती कुछ क्षेत्रों में जायद मौसम में भी होती है।
दलहन फसलों के फायदे (Benefits of Pulses Crops)
1. पोषण से भरपूर (Rich in Nutrition)
✔️ दलहन फसलें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और जिंक से भरपूर होती हैं।
✔️ यह शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है।
✔️ डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे को कम करने में मददगार।
2. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाए (Improves Soil Fertility)
✔️ दलहन फसलें प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं, जिससे खेत की मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है।
✔️ यह जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देती हैं और उर्वरकों पर निर्भरता कम करती हैं।
3. जल संरक्षण में सहायक (Helps in Water Conservation)
✔️ दलहन फसलों को कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती हैं।
✔️ जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती के लिए दलहन सबसे अच्छा विकल्प है।
4. किसानों की आय बढ़ाने में सहायक (Boosts Farmers’ Income)
✔️ दलहन की मांग पूरे साल बनी रहती है, जिससे यह लाभकारी नकदी फसल (Cash Crop) है।
✔️ सरकार द्वारा दलहन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य अनुदान योजनाएँ उपलब्ध हैं।
5. जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण (Biodiversity & Environmental Protection)
✔️ दलहन की खेती से कीटनाशकों की जरूरत कम होती है, जिससे रासायनिक प्रदूषण नहीं होता।
✔️ यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायक है और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती है।
भारत सरकार द्वारा दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रमुख योजनाएँ
– राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) – दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता।
– प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) – दलहन फसलों के लिए जल संसाधन उपलब्ध कराने पर जोर।
– मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना – किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए दिशा-निर्देश।
– राष्ट्रिय कृषि विकास योजना (RKVY) – दलहन उत्पादन में वृद्धि के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा।
भारत एग्रो लिंक: किसानों की मजबूती के लिए प्रयासरत
भारत एग्रो लिंक किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, आधुनिक कृषि समाधान और बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य है कि किसान स्मार्ट खेती अपनाएं और अधिक मुनाफा कमाएं।
🌾 इस विश्व दलहन दिवस पर, हम सभी संकल्प लें कि अधिक दलहन उगाएं, पोषण सुरक्षा को मजबूत करें और सतत कृषि को बढ़ावा दें। 🌱🚜