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1. खजूर की खेती का परिचय

खजूर (Date Palm) एक बहुवर्षीय, सूखा प्रतिरोधी फलदार वृक्ष है, जो अत्यधिक गर्म और शुष्क जलवायु में भी फल देता है। खजूर का वैज्ञानिक नाम Phoenix dactylifera है। यह फल अपने पोषण, मिठास और औषधीय गुणों के कारण दुनियाभर में लोकप्रिय है।

भारत में इसकी खेती अब धीरे-धीरे गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे सूखे क्षेत्रों में बढ़ रही है। सही तकनीक और अच्छी देखभाल के साथ खजूर की खेती किसान के लिए सोना उगाने जैसा लाभदायक व्यवसाय बन सकती है।

2. भारत में खजूर की खेती की स्थिति

  • प्रमुख राज्य: गुजरात (विशेषकर कच्छ), राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना
  • प्रमुख बाजार: खजूर का सबसे अधिक आयात खाड़ी देशों से होता है, लेकिन अब भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है
  • सरकारी सहायता: राष्ट्रीय बागवानी मिशन, ICAR और राज्य कृषि विभाग से पौध वितरण, ड्रिप सिंचाई अनुदान और प्रशिक्षण सहायता उपलब्ध है

3. खजूर की प्रमुख किस्में

किस्मविशेषताउपयोग
मेडजूल (Medjool)बड़ा, नरम, मीठाताजा और ड्राई दोनों रूप में बिक्री
बरही (Barhee)गोल, ताजा खाने योग्यघरेलू खपत में लोकप्रिय
खालास (Khalas)हल्के पीले रंग कासूखाकर रखने योग्य
देग्लेत नूरहल्की मिठास, एक्सपोर्ट ग्रेडप्रोसेसिंग में उपयोगी
हलावी (Halawi)कारमेल जैसा स्वादमीठा और नरम

नोट: मेडजूल की बाजार में सबसे अधिक मांग और कीमत होती है।

4. जलवायु और मिट्टी की जरूरतें

  • अधिक तापमान (35–45°C) अनिवार्य
  • बहुत अधिक नमी या वर्षा खजूर के लिए हानिकारक
  • फल पकने के दौरान शुष्क मौसम जरूरी

मिट्टी:

  • रेतीली, दोमट या हल्की जल निकासी वाली मिट्टी
  • pH – 7.0 से 8.5 तक सहनीय
  • क्षारीय मिट्टी में भी उत्पादन संभव

5. खेत की तैयारी और पौधारोपण

खेत की तैयारी:

  • गहरी जुताई करें
  • 1x1x1 मीटर के गड्ढे बनाएं
  • गड्ढे में गोबर की खाद (15-20 किलो), नीम खली और 200 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट मिलाएं

रोपण का समय:

  • जुलाई से सितंबर सबसे उपयुक्त
  • गर्म क्षेत्र हो तो मार्च–अप्रैल में भी रोपण संभव

दूरी:

  • पौधे से पौधे की दूरी – 8 मीटर
  • प्रति एकड़ – लगभग 60–65 पौधे

6. परागण (Pollination) की तकनीक

  • खजूर में नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं
  • केवल मादा पौधों में ही फल आते हैं
  • कृत्रिम परागण अनिवार्य (एक नर पौधा = 40-50 मादा पौधों के लिए पर्याप्त)
  • परागण का सही समय – मादा फूलों के खुलते ही
  • पराग को सूखा कर 3–4 दिन तक स्टोर किया जा सकता है

7. सिंचाई व्यवस्था

  • शुरुआती 3 वर्षों तक नियमित सिंचाई जरूरी
  • ड्रिप सिंचाई सर्वोत्तम पद्धति मानी जाती है
  • गर्मी में 7–10 दिन में एक बार सिंचाई
  • बारिश के मौसम में जल जमाव से बचाएं

8. खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

आयुगोबर की खादN (नाइट्रोजन)P (फॉस्फोरस)K (पोटाश)
1-3 वर्ष10-15 किलो200 ग्राम100 ग्राम100 ग्राम
4-6 वर्ष20-25 किलो500 ग्राम300 ग्राम300 ग्राम
7+ वर्ष30-40 किलो1.0 किलो500 ग्राम500 ग्राम
  • उर्वरक को 2 बार में देना चाहिए – जून और अक्टूबर
  • जैविक खादों का प्रयोग मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक है

9. रोग और कीट नियंत्रण

सामान्य रोग:

  • जड़ सड़न (Root rot): अधिक पानी से बचाएं, ट्राइकोडर्मा डालें
  • लीफ स्पॉट: कॉपर फंगीसाइड का छिड़काव
  • फलों में कीट: जैविक कीटनाशकों और नेट बैग्स से सुरक्षा

जैविक उपाय:

  • नीम का तेल, गाय का गोमूत्र और पंचगव्य स्प्रे
  • ट्राइकोडर्मा और बीजामृत का उपयोग

10. फसल की कटाई और उत्पादन

  • पहली फसल: 4-5 वर्षों में
  • पूर्ण उत्पादन: 7वें वर्ष से
  • औसतन उत्पादन: 60–100 किग्रा प्रति पौधा प्रति वर्ष
  • कटाई का समय: जुलाई से सितंबर
  • फलों को ताजा, सुखाकर या प्रोसेस्ड रूप में बेचा जा सकता है

11. प्रोसेसिंग और मार्केटिंग

खजूर उत्पाद:

  • सूखे खजूर (Dry Dates)
  • खजूर पेस्ट
  • खजूर जूस, जैम
  • खजूर चॉकलेट और मिठाई

विपणन के साधन:

  • APMC मंडी, हाट बाजार
  • निजी कंपनियाँ और प्रोसेसिंग यूनिट
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Bharat Agrolink, Amazon, Flipkart)
  • स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोर्ट

12. लागत और लाभ का अनुमान (1 एकड़ में)

मदअनुमानित लागत (₹)
पौध सामग्री (65 पौधे)₹30,000
गड्ढा भराई व खाद₹15,000
सिंचाई (ड्रिप सिस्टम)₹20,000
मजदूरी व रखरखाव (सालाना)₹25,000
कुल प्रारंभिक लागत₹90,000

उत्पादन (7वें वर्ष से):

  • औसतन 65 पेड़ × 80 किग्रा = 5,200 किग्रा
  • बाजार मूल्य (₹80/kg) = ₹4,16,000
  • लाभ = ₹3 लाख+ प्रति वर्ष (सिर्फ एक एकड़ से)

13. सरकारी योजनाएं और सहायता

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): पौध वितरण और सिंचाई पर सब्सिडी
  • ICAR, KVK: प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रदर्शन परियोजनाएं
  • PM-Kisan योजना: ₹6000 वार्षिक सहायता
  • नाबार्ड: कृषि ऋण और बागवानी योजनाएं

निष्कर्ष: क्या खजूर की खेती आपके लिए उपयुक्त है?

यदि आप सूखे क्षेत्र में रहते हैं, सिंचाई संसाधन सीमित हैं, और दीर्घकालिक लाभ की योजना बना रहे हैं, तो खजूर की खेती आपके लिए एक उत्तम विकल्प है। वैज्ञानिक विधियों, सही किस्मों और मार्केटिंग रणनीति के साथ यह खेती किसान की आय को 3-4 गुना बढ़ा सकती है।

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