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धना (धनिया) का उपयोग मसाले और हरे पत्तों के रूप में किया जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से इसके बीज (धना) और हरी पत्तियों के लिए की जाती है। भारत में धनिया की खेती राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। धनिया की खेती कम लागत में अच्छी आय देने वाली खेती है। इसे साल में दो बार कर सकते हैं।

धना की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

15°C से 30°C के बीच का तापमान अनुकूल होता है। धनिया के अच्छे विकास के लिए पर्याप्त धूप जरूरी होती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में धना की खेती अच्छी नहीं होती है। इसकी खेती के लिए कम से मध्यम वर्षा पर्याप्त होती है।

मिट्टी का चयन

अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सही रहती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी हो। काली मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी भी अच्छी मानी जाती है।

खेत की तैयारी

खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। जुताई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए पाटा लगाएं। जुताई के बाद प्रति एकड़ 10-12 टन अच्छी तरह से गली हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि पानी का ठहराव न हो।

बीज का चुनाव और उपचार

प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को बुवाई से पहले 2 ग्राम थायरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। जैविक खेती के लिए बीज को ट्राइकोडर्मा या अजोटोबैक्टर से उपचारित करें।

बुवाई का समय

– खरीफ में जुलाई से अगस्त।

– रबी में अक्टूबर से नवंबर।

– जायद में फरवरी से मार्च।

बुवाई की विधि

छिड़काव विधि – इस विधि में बीजों को खेत में समान रूप से छिड़क दिया जाता है।

कतार विधि – इस विधि में पंक्तियों के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच 8-10 सेमी की दूरी रखी जाती है। कतार विधि में पौधों की देखभाल और निराई-गुड़ाई में आसानी होती है।

सिंचाई

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। पहली सिंचाई के बाद आवश्यकतानुसार हर 7 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फूल आने के समय और दाना बनने के समय पर्याप्त नमी होनी चाहिए। जलभराव से बचने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

निराई-गुड़ाई

– पहली निराई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें।

– आवश्यकतानुसार दूसरी निराई बुवाई के 40-45 दिन बाद करें।

– रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन का छिड़काव कर सकते हैं।

कटाई

धना की कटाई फूल आने के 30-40 दिन बाद की जाती है। जब पौधे पीले पड़ने लगें और बीज हल्के भूरे रंग के हो जाएं, तब कटाई करें। कटाई के बाद बीजों को धूप में सुखाकर भंडारण करें। हरी पत्तियों के लिए कटाई बुवाई के 30-40 दिन बाद करें।

उपज

हरे पत्तों की उपज 80-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बीज की उपज 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

धना कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। उचित समय पर बुवाई, संतुलित उर्वरकों का उपयोग, कीट एवं रोग नियंत्रण और सही समय पर सिंचाई से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।

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