खीरा को सलाद, रायता और अन्य व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। खीरे की खेती करना आसान है। यह कम समय में अच्छी उपज देने वाली फसल मानी जाती है।
आवश्यक जलवायु
खीरे की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। अंकुरण के लिए 25°C से 30°C और पौधों की बढ़वार के लिए 18°C से 35°C तापमान अच्छा रहता है। खीरे की फसल को अत्यधिक गर्मी और ठंड से बचाना चाहिए।
भूमि का चयन
दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
खेत की तैयारी
खेत को अच्छी तरह जोतकर भुरभुरा बना लें। 10-15 टन गोबर या कंपोस्ट खाद प्रति एकड़ खेत में मिलाएं। मिट्टी को रोगमुक्त करने के लिए नीम की खली या जैविक कीटनाशक का उपयोग करें। जल निकासी की उचित व्यवस्था करें ताकि अधिक पानी से फसल खराब न हो।
बीज का चयन
उन्नत किस्मों के बीज का उपयोग करें।
बुवाई का समय
– गर्मी की फसल फरवरी से मार्च तक लगाएं।
– वर्षा की फसल जून से जुलाई तक लगाएं।
– शरद ऋतु की फसल सितंबर से अक्टूबर तक लगाएं।
बीज की मात्रा
प्रति एकड़ 2.5 से 3.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई की विधि
कतार से कतार की दूरी 1.5 से 2 फीट रखें। पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 फीट रखें। बीज को 1.5 से 2 सेमी की गहराई पर बोएं। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई प्रबंधन
बीज के अंकुरण के बाद नियमित रूप से सिंचाई करें। गर्मियों में हर 4-5 दिन पर और सर्दियों में हर 7-10 दिन पर सिंचाई करें।
गुड़ाई और देखभाल
पौधों की बढ़वार के दौरान खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। बेलों को सहारा देने के लिए जाली का उपयोग करें। बेलों की सही दिशा में बढ़वार के लिए नियमित देखभाल करें।
कटाई
– बुवाई के 40-50 दिन बाद खीरे की तुड़ाई शुरू हो जाती है।
– खीरे की जल्दी तुड़ाई करने से उपज अच्छी होती है।
– सुबह या शाम के समय खीरे की तुड़ाई करें।
– खीरे को धीरे-धीरे तोड़ें ताकि बेल को नुकसान न पहुंचे।
पैदावार
औसत उपज 100-150 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
उचित देखभाल से उपज और गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
खीरे की खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है। सही बीज का चयन, उचित सिंचाई, पोषण प्रबंधन और समय पर कटाई से आप उच्च गुणवत्ता और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।