गोबर की खाद एक जैविक उर्वरक है। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसलों की पैदावार सुधारने में मदद करती है। यह न केवल पोषक तत्व प्रदान करती है, बल्कि मिट्टी की संरचना को भी बेहतर बनाती है। गोबर की खाद गाय, भैंस या अन्य पालतू पशुओं के गोबर को सड़ाकर बनाई जाती है। इसे कम्पोस्ट खाद या सड़ी-गली खाद भी कहा जाता है।
गोबर की खाद कैसे बनाएं?
गोबर की खाद बनाने की दो विधियां हैं –
1. पारंपरिक विधि
जमीन में 3-4 फीट गहरा गड्ढा खोदें।
ताजा गोबर को गड्ढे में डालें।
सूखे पत्ते और फसल अवशेष मिलाएं, इससे सड़ने की प्रक्रिया तेज होती है।
गोबर को मिट्टी या घास से ढंक दें, ताकि नमी बनी रहे।
3-4 महीने में खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है।
2. वर्मी कम्पोस्ट विधि
गोबर में केंचुए डालें, जो इसे तेजी से सड़ा देते हैं।
40-50 दिनों में उच्च गुणवत्ता वाली खाद तैयार हो जाती है।
गोबर की खाद के फायदे
– मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है।
– इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्व होते हैं।
– यह मिट्टी को भुरभुरा बनाती है और नमी बनाए रखती है।
– लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ाती है।
– इसके उपयोग से फसल की वृद्धि में सुधार होता है।
– रासायनिक खादों की जरूरत कम पड़ती है।
– फसलों की गुणवत्ता और स्वाद में सुधार होता है।
गोबर की खाद का उपयोग कैसे करें?
– बुवाई से पहले प्रति एकड़ 8-10 टन खाद डालें।
– सब्जियों और बागवानी के लिए खाद को जड़ के पास डालें।
– गोबर को पानी में घोलकर फसलों पर स्प्रे करें।
गोबर की खाद खेती के लिए एक बेहतरीन जैविक उर्वरक है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, बल्कि फसल उत्पादन को भी प्राकृतिक रूप से बेहतर बनाती है। जैविक खेती को बढ़ावा देने और लागत कम करने के लिए किसानों को इसका अधिक उपयोग करना चाहिए।
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