आधुनिक तरीकामिर्च एक प्रमुख मसाला फसल है। मिर्च का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। अगर सही तरीके से की जाए तो मिर्च की खेती से अच्छी आमदनी भी होती है।
मिर्च की खेती के लिए आवश्यक जलवायु
– मिर्च की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।
– मिर्च के बीजों के अंकुरण के लिए 25°C से 30°C तापमान सबसे सही होता है।
– मिर्च की अच्छी वृद्धि के लिए दिन का तापमान 20°C से 35°C और रात का तापमान 15°C से 20°C होना चाहिए।
– अधिक बारिश और अधिक ठंड मिर्च की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है।
उपयुक्त मिट्टी
दोमट और बलुई दोमट मिट्टी मिर्च की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। खेत को भली-भांति जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए ताकि जड़ें आसानी से फैल सकें।
खेत की तैयारी
सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी मुलायम हो जाए। इसके बाद एकड़ में लगभग 10 से 15 टन गोबर की खाद डालें। आप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश भी डाल सकते हैं। खेत में नमी बनाए रखने और खरपतवार को रोकने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग कर सकते हैं।
बीज की तैयारी
उच्च गुणवत्ता वाले और प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें। बीज को बुवाई से पहले थाइरम या कैप्टान से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। बुवाई से पहले बीजों को पानी में भिगोने से अंकुरण जल्दी होता है।
बीज बोने का समय
गर्मियों में फरवरी से मार्च
सर्दियों में सितंबर से अक्टूबर
बरसात में जून से जुलाई
बीज बोने का तरीका
नर्सरी में बीज को लाइन में बोएं।
बीजों के बीच की दूरी लगभग 5 से 7 सेमी रखें।
बीज को मिट्टी से हल्के से ढक दें और पानी दें।
अंकुरण के बाद पौधों को 25 से 30 दिनों तक नर्सरी में रखें।
पौधों की रोपाई
पौधे जब 10 से 15 सेमी लंबे हो जाएं और उनमें 4 से 5 पत्तियां आ जाएं, तब उन्हें खेत में रोपें।
पौधों के बीच की दूरी 45 से 60 सेमी और कतारों के बीच की दूरी 60 से 75 सेमी रखें।
शाम के समय रोपाई करें ताकि पौधों को कम तनाव हो।
रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई
मिर्च की फसल के लिए संतुलित मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।
गर्मी के मौसम में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
बारिश के मौसम में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और फसल की गुणवत्ता अच्छी रहती है।
फूल आने और फल बनने के समय विशेष रूप से सिंचाई की जरूरत होती है।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार को हटाने के लिए समय-समय पर गुड़ाई करें।
रासायनिक खरपतवारनाशक जैसे पेंडीमिथालिन का उपयोग किया जा सकता है।
प्लास्टिक मल्चिंग से भी खरपतवार को रोका जा सकता है।
फसल की कटाई
मिर्च की फसल 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है।
मिर्च के फल को हरे या लाल रंग के अनुसार तोड़ा जा सकता है।
ताजा मिर्च को हरे रंग में और सूखी मिर्च को लाल रंग में तोड़ा जाता है।
हाथ से या कैंची से मिर्च की कटाई करें ताकि पौधों को नुकसान न हो।
उपज
हरी मिर्च की औसत पैदावार 80 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
सूखी मिर्च की पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
मिर्च की खेती से अच्छी आमदनी के लिए सही जलवायु, उपयुक्त मिट्टी और संतुलित खाद व सिंचाई की आवश्यकता होती है। खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। सही समय पर कटाई और बाजार में उचित मूल्य पर बेचकर आप मिर्च की खेती से बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।