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आज के समय में जब खेती रसायनों, कीटनाशकों और मशीनों पर अत्यधिक निर्भर हो चुकी है, तब सतत (Sustainable) कृषि पद्धतियों की ओर लौटना ज़रूरी हो गया है। ऐसे में दो शब्द बार-बार सुनाई देते हैं — ऑर्गेनिक खेती और रीजेनरेटिव खेती। कई किसान और उपभोक्ता यह जानने में रुचि रखते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और कौन-सी पद्धति अधिक लाभदायक व पर्यावरण के लिए अनुकूल है।

इस ब्लॉग में हम इन दोनों पद्धतियों का गहराई से विश्लेषण करेंगे — उनके सिद्धांत, लाभ, चुनौतियां और अंत में यह जानने की कोशिश करेंगे कि कौन-सी खेती वास्तव में भविष्य के लिए बेहतर विकल्प है।

ऑर्गेनिक खेती: क्या है यह?

ऑर्गेनिक खेती (जैविक कृषि) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, हार्मोन्स और संशोधित बीजों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें प्राकृतिक संसाधनों जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली, हरी खाद और जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है।

प्रमुख सिद्धांत:

  • रासायनिक मुक्त खेती
  • मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना
  • पर्यावरण संरक्षण
  • जैव विविधता को बढ़ावा देना

फायदे:

  • उपभोक्ताओं को रसायन-मुक्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिलता है
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
  • जल स्रोतों का संरक्षण
  • कीड़ों और रोगों के लिए प्राकृतिक नियंत्रण

चुनौतियाँ:

  • प्रारंभ में उपज में गिरावट आ सकती है
  • मार्केटिंग और प्रमाणन प्रक्रिया जटिल होती है
  • जैविक इनपुट की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में कम

रीजेनरेटिव खेती: क्या है यह?

रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर (पुनर्योजी कृषि) एक नई सोच है जो केवल रसायनों से मुक्त खेती नहीं, बल्कि मिट्टी के पुनरुद्धार, कार्बन कैप्चर, और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य न केवल फसल उगाना है, बल्कि धरती की सेहत को सुधारना भी है।

प्रमुख सिद्धांत:

  • मिट्टी में जैव विविधता और कार्बन की मात्रा बढ़ाना
  • न्यूनतम जुताई (No-till or Low-till farming)
  • ढकाव फसलें (Cover crops)
  • पशुपालन को खेती के साथ जोड़ना
  • कीटनाशक और उर्वरकों का अत्यंत सीमित उपयोग

फायदे:

  • मिट्टी की सेहत और जीवन शक्ति में सुधार
  • जल धारण क्षमता बढ़ती है, सूखे में भी फसलें टिकती हैं
  • कार्बन को मिट्टी में बाँध कर जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद
  • जैव विविधता को बढ़ावा

चुनौतियाँ:

  • इसकी समझ और प्रशिक्षण की जरूरत होती है
  • तकनीकी जानकारी और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आवश्यकता
  • शुरुआती निवेश और धैर्य की मांग

ऑर्गेनिक Vs. रीजेनरेटिव खेती: तुलना तालिका

मापदंडऑर्गेनिक खेतीरीजेनरेटिव खेती
मूल उद्देश्यरसायन-मुक्त भोजनमिट्टी और पारिस्थितिकी का पुनरुत्थान
तकनीकपारंपरिक और जैविक इनपुटउन्नत, विज्ञान-आधारित पद्धतियाँ
पर्यावरण प्रभावसकारात्मकअत्यधिक सकारात्मक, जलवायु-हितैषी
उपजकम से मध्यम (शुरुआत में)दीर्घकाल में अधिक
लागतशुरुआत में कम, पर प्रमाणन महंगाशुरुआत में प्रशिक्षण व समायोजन की लागत
प्रमाणन प्रणालीतयशुदा (India Organic, NPOP आदि)फिलहाल कोई तय मानक नहीं
ग्राहकों की पहुंचअधिक, उपभोक्ता जागरूक हैंअभी शुरुआती दौर में

क्या रीजेनरेटिव खेती ऑर्गेनिक से बेहतर है?

यह कहना कठिन है कि कौन “बेहतर” है, क्योंकि दोनों की भूमिका अलग-अलग संदर्भ में अहम है:

  • ऑर्गेनिक खेती उपभोक्ताओं को रसायन-मुक्त भोजन देने में सफल रही है। यह एक स्पष्ट और प्रमाणित प्रणाली है जो बाजार में मान्यता प्राप्त है।
  • रीजेनरेटिव खेती उस स्तर से भी एक कदम आगे जाती है। यह सिर्फ रसायन से बचने की नहीं, बल्कि धरती को पुनर्जीवित करने की सोच है — जिससे खेती वास्तव में सतत और भविष्य के लिए तैयार बन सके।

वास्तव में, रीजेनरेटिव खेती ऑर्गेनिक खेती का अगला स्तर मानी जा सकती है।

भारत में स्थिति

भारत में दोनों प्रकार की खेती का विस्तार हो रहा है:

  • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड जैसे राज्य ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • आंध्र प्रदेश में “Zero Budget Natural Farming” और सिक्किम जैसे राज्य पूर्ण जैविक राज्य बन चुके हैं।
  • अब कुछ स्टार्टअप्स और निजी संस्थान रीजेनरेटिव मॉडल पर काम कर रहे हैं — जैसे कि मिट्टी कार्बन को बढ़ाने के लिए खेतों में विशिष्ट पद्धतियाँ लागू करना।

निष्कर्ष

भारत और दुनिया को ऐसी खेती की ज़रूरत है जो केवल आज की भूख नहीं मिटाए, बल्कि धरती की सेहत को बनाए रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत कृषि मॉडल तैयार करे।

  • यदि आप एक किसान हैं जो रसायन से दूर रहना चाहते हैं — तो ऑर्गेनिक खेती एक अच्छा पहला कदम है।
  • यदि आप धरती की मिट्टी, जल और वातावरण की सेहत को सुधारना चाहते हैं — तो रीजेनरेटिव खेती भविष्य की राह है।

दोनों का एक साथ संयोजन भी किया जा सकता है — जिससे न केवल किसान को अच्छा मुनाफा हो, बल्कि पर्यावरण को भी राहत मिले।

सुझाव: कहाँ से शुरू करें?

  • Bharat Agrolink YouTube चैनल, और पॉडकास्ट से रीजेनरेटिव खेती के प्रैक्टिकल उदाहरण जानें

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