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हमारे देश की लगभग 70% आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इस कृषि व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय कृषि में महिलाएं सिर्फ सहायक भूमिका में नहीं हैं, बल्कि वे खेतों में काम करने, बीज बोने, कटाई, फसल की देखभाल और मवेशियों की देखभाल जैसे कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। कृषि से जुड़े कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 75% तक है। महिलाएं कृषि कार्यों के साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने, कृषि नवाचारों को अपनाने और परंपरागत ज्ञान के उपयोग से कृषि में सतत विकास में भी योगदान दे रही हैं। महिलाएं कृषि के हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे खेत से लेकर मंडी तक हर प्रक्रिया में योगदान देती हैं।

फसल उत्पादन
महिलाएं खेतों में जुताई, बुआई, सिंचाई और कटाई के कार्य करती हैं।
वे बीज तैयार करने, खाद डालने और खरपतवार हटाने जैसे कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

पशुपालन
महिलाएं पशुओं की देखभाल, दूध दोहने, चारा खिलाने और बीमारियों से बचाव के कार्य करती हैं।
वे गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी पालन जैसे कार्यों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन और अतिरिक्त आय के स्रोत को संभालती हैं।

बागवानी
महिलाएं सब्जी, फूल और फलों की खेती में विशेष रूप से सक्रिय हैं।
वे पौधों की देखभाल, कटाई और विपणन तक के कार्यों को संभालती हैं।

जैविक खेती
महिलाएं परंपरागत तरीकों जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और पंचगव्य का उपयोग करके खेती को जैविक और टिकाऊ बना रही हैं।
महिलाएं रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचकर स्वस्थ और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं।

कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण
महिलाएं कृषि उत्पादों जैसे गेहूं, चावल, दालें, मसाले आदि का प्रसंस्करण कर उन्हें बाजार में बेचती हैं।
वे अचार, पापड़, मुरब्बा, मसाले आदि तैयार करके अतिरिक्त आय अर्जित करती हैं।

मछली पालन
महिलाएं तालाबों और नदी में मछली पालन के कार्यों में भी संलग्न रहती हैं।
वे मछलियों को चारा देने और स्वास्थ्य की देखभाल करने का कार्य करती हैं।

इसके अलावा महिलाएं बीजों का संरक्षण कर उनके सही भंडारण का कार्य करती हैं। महिलाएं खेतों से उत्पाद लाकर उन्हें स्थानीय बाजारों या मंडियों में बेचती हैं। कई महिलाएं अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से अपने उत्पाद सीधे बाजार तक पहुंचा रही हैं।

महिलाएं भारतीय कृषि की रीढ़ हैं। उनके योगदान से उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है। अगर महिलाओं को भूमि स्वामित्व, प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और बाजार तक पहुंच की सुविधाएं दी जाए, तो वे भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं।
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