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साइलेज उच्च-गुणवत्ता वाला पशु चारा है, जिसे हरे चारे को सड़ने से बचाने के लिए एयरटाइट यानि हवा रहित परिस्थितियों में संरक्षित करके बनाया जाता है। इसे खासतौर पर गाय, भैंस, बकरी और अन्य दुधारू पशुओं को खिलाया जाता है ताकि वे अधिक पोषण प्राप्त कर सकें और दूध उत्पादन बढ़ा सकें।

यह चारा फर्मेंटेशन यानी किण्वन प्रक्रिया से बनता है, जिसमें हरा चारा जैसे मक्का, नेपियर घास, ज्वार, बरसीम को 30-40 दिनों तक बिना हवा के रखा जाता है। इससे इसमें मौजूद शर्करा लैक्टिक एसिड में बदल जाती है, जो इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखती है।

साइलेज बनाने की प्रक्रिया
– मक्का, ज्वार, बाजरा, नेपियर घास, बरसीम या गन्ने के पत्तों का उपयोग किया जा सकता है।
– चारे को 70-75% नमी होने पर काटें यानी जब यह ज्यादा सूखा न हो।
– चारे को 2-3 सेंटीमीटर के छोटे टुकड़े कर लें ताकि इसे पैक करना आसान हो।
– इसे गड्ढे या पिट साइलेज, ड्रम, या प्लास्टिक बैग में बनाया जा सकता है।
– जमीन में 4-5 फीट गहरा गड्ढा खोदें और उसमें पॉलीथिन बिछाएं।
– कटा हुआ चारा परत-दर-परत भरें और इसे अच्छी तरह दबाएं ताकि हवा बाहर निकल जाए।
– 1 टन चारे के लिए 3-5 किलो गुड़ या मोलासेस मिलाएं, जिससे फर्मेंटेशन तेजी से हो।
– पॉलिथीन शीट या प्लास्टिक से गड्ढे या बैग को अच्छी तरह से सील करें।
– 30-40 दिनों में साइलेज तैयार हो जाएगा।

साइलेज की पहचान कैसे करें?
– रंग – हल्का हरा या पीला-भूरा हो जाता है।
– गंध – हल्की मीठी और खट्टी गंध आती है सड़ा हुआ न लगे।
– छूने पर – चारा नम और मुलायम होता है।
– अगर साइलेज से दुर्गंध आती है या वह काला पड़ गया है, तो इसका मतलब है कि वह खराब हो चुका है और उसे नहीं खिलाना चाहिए।

पशुओं को साइलेज कैसे खिलाएं?
– गाय और भैंस को 15-20 किलोग्राम प्रति दिन दें।
– बछड़ों को 5-10 किलोग्राम प्रति दिन दें।
– बकरियों को 3-5 किलोग्राम प्रति दिन दें।

– पहली बार देने पर पशुओं को धीरे-धीरे इसकी आदत डालें।
– साइलेज को सूखे चारे या भूसे के साथ मिलाकर खिलाएं।
– ताजा और साफ पानी भी दें।

साइलेज के फायदे
– पशुओं के दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
– चारा पूरे साल उपलब्ध रहता है।
– पचने में आसान और पौष्टिक होता है।
– सूखे और बाढ़ जैसी परिस्थितियों में भी उपयोगी।
– चारे की बर्बादी कम होती है।

साइलेज एक बढ़िया पशु आहार है, जो पशुपालकों के लिए किफायती और पौष्टिक विकल्प प्रदान करता है। इसे सही तरीके से बनाने और स्टोर करने से यह 6-12 महीने तक सुरक्षित रह सकता है। अगर इसे सही मात्रा में और सही तरीके से खिलाया जाए, तो दूध उत्पादन में 15-20% तक बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।

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