गन्ने की फसल में कई प्रकार के रोग लगते हैं, जो उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इन रोगों की पहचान और उनके नियंत्रण के लिए समय पर उपाय करना जरूरी है। इन रोगों की रोकथाम अगर किसान सही समय पर नहीं कहते हैं तो उपज में भारी कमी होती है।
लाल सड़न रोग
पहचान
गन्ने के पत्ते पीले होकर सूखने लगते हैं।
गन्ने के आंतरिक टिशू लाल-भूरे रंग के हो जाते हैं और उनमें सफेद धारियां दिखाई देती हैं।
प्रभावित गन्ने से खट्टी गंध जैसी बदबू आती है।
उपाय
रोगरोधी किस्मों का चयन करें।
स्वस्थ और प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
प्रभावित गन्नों को तुरंत काटकर नष्ट करें।
2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
चूर्णी फफूंद रोग
पहचान
पत्तों की ऊपरी सतह पर सफेद चूर्ण जैसा पाउडर दिखाई देता है।
पत्तियां मुरझाने लगती हैं और गन्ने की वृद्धि रुक जाती है।
उपाय
रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
गन्ने की फसल में हवा का उचित संचार बनाए रखें।
सल्फर पाउडर (0.3%) या वेटेबल सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
तना गलन रोग
पहचान
पौधे के ऊपरी हिस्से में तना गलने लगता है और ऊपर का भाग सूख जाता है।
तने को काटने पर उसमें सड़े हुए अनानास जैसी गंध आती है।
उपाय
अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में गन्ने की बुवाई करें।
थायोफीनेट मिथाइल (0.1%) या कार्बेन्डाजिम (0.2%) का छिड़काव करें।
प्रभावित पौधों को तुरंत हटा दें।
कोड़िया रोग
पहचान
पौधे की पत्तियां पीली होकर झुकने लगती हैं।
तने की भीतरी बनावट भूरे रंग की हो जाती है।
रोग बढ़ने पर पूरा पौधा सूख जाता है।
उपाय
बुवाई से पहले गन्ने के टुकड़ों को कार्बेन्डाजिम 0.1% घोल में डुबोकर उपचारित करें।
प्रभावित पौधों को हटा दें और नष्ट कर दें।
जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
नाइट्रोजन की अधिकता से बचें।
स्मट रोग
पहचान
गन्ने के तने से लंबी, काले रंग की फफूंद जैसी संरचना निकलती है।
पौधे कमजोर और बौने हो जाते हैं।
उपाय
स्वस्थ गन्ने का बीज लगाएं।
बुवाई से पहले गन्ने को गर्म पानी में 30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें।
प्रभावित पौधों को तुरंत उखाड़कर नष्ट करें।
फ्यूजेरियम रोग
पहचान
पत्तियां पीली होकर मुरझा जाती हैं।
तना अंदर से काला या भूरा होने लगता है।
उपाय
रोग प्रतिरोधी किस्में उगाएं।
खेत में जलभराव न होने दें।
कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
याद रखें गन्ने की फसल को रोगों से बचाने के लिए समय पर पहचान और सही नियंत्रण उपाय अपनाना जरूरी है। जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों का उपयोग करके गन्ने की उपज को सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि किसान उचित सावधानियां बरतें और फसल की नियमित निगरानी करें, तो वे नुकसान को कम कर सकते हैं और अच्छी पैदावार ले सकते हैं। ऐसे ही और जानकारी के लिए जुड़े रहिए https://ebijuka.com/ से।